शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

त्रयी विद्या

अपना ब्लॉग Search for: अगस्त्य मुनि और टिटहरी के अंडे! November 18, 2015, 4:00 PM IST संजीव कुमार मिश्रा in दिव्य ज्ञान | मेरी खबर सतयुग में एक टिटहरी समुद्र तट पे रहा करती थी ! एक समय समुद्र उस टिटहरी के दो अन्डो को बहा ले गया, टिटहरी ने सोचा इस महान पापी समुद्र ने मेंरे दोनों पुत्रो को अपने में रमण कर लिया है, अब मुझे इसे सबक सिखाना चाहिए , वह समुद्र को सबक सिखाने के लिए मिटटी के कणों को उसमे डालने लगी !   इतने में अगस्त्य मुनि वहाँ आ पहुंचे और टिटहरी से पूछा यह तू क्या कर रही है ? उसने कहा इस पापी समुद्र ने मेरे दोनों पुत्रो को हरण कर लिया है इसलिए मै इसको सबक सिखाना चाहती हूँ   अगस्त्य मुनि बोले यह अरे ! यह तू क्या कर रही है ? मै इस समुद्र को पान कर लेता हूँ कहते है अगस्त्य मुनि ने तीन आचमन किये और तीन आचमनों में समुद्र को शोषण कर लिया और अपने उपस्थ इन्द्रियों के द्वारा समुद्र को खारा (नमकीन) बना करके त्याग दिया और उन दोनों पुत्रो की रक्षा हो गई !   इसका मतलब यह है की संसार रूपी समुद्र में यह जीवात्मा रूपी अंडे आवागमन के चक्र में डूबते रहते है पर जब वेद ज्ञान प्रकाश यानि त्रयी विद्या, ज्ञान -कर्म – उपासना को तीन आचमन बना कर पान करता है तो वह इस संसार सागर को खारा जानकार इसका परित्याग कर के संसार सागर से पार हो जाता है ! डिसक्लेमर : ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं लेखक संजीव कुमार मिश्रा भारतीय नागरिक। COMMENTS अपना कॉमेंट लिखे सबसे चर्चित पोस्ट सुपरहिट पोस्ट 1. अशरात-ए-दीपक 2. क्या राहुल गांधी को लेकर बीजेपी का डर जायज है? 3. फील्डमार्शल जनरल रोमेल – भाग 20 4. सुधार हो या विकास, चाहो तो हो सकता है 5. इंसानियत - एक धर्म ( भाग - 41 ) टॉपिक से खोजें नेता भारत कर्तव्य इस्लाम नियम सरकार कविता अराजकता सिरसा मोनिका-गुप्ता देश सुधार समाज कार्टून चुनाव मोदी -अधिकार हरियाणा उपयोग दुरूपयोग अधिकार व्यंग्य ब्लाग कांग्रेस सुरक्षा नए लेखक और » हमें Like करें Copyright ©  2017  Bennett Coleman & Co. Ltd. All rights reserved. For reprint rights: Times Syndication Service

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