शनिवार, 28 अक्टूबर 2017

गुप्त साधना

All World Gayatri Pariwar 🔍 PAGE TITLES August 1941 गुप्त साधना एक मनुष्य ने सुन रखा था कि आध्यात्मिक जगत में कुछ ऐसे गुप्त मंत्र हैं जो यदि किसी को सिद्ध हो जावें तो उसे बहुत सिद्धियाँ मिल सकती हैं। मन्त्रों की अद्भुत शक्तियों के बारे में उसने बहुत कुछ सुन रक्खा था और बहुत कुछ देखा था इसलिए उसे बड़ी प्रबल उत्कंठा थी कि किसी प्रकार कोई मन्त्र सिद्ध कर लें, तो आराम से जिन्दगी बीते और गुणवान तथा यशस्वी बन जावें। गुप्त मन्त्र की दीक्षा लेने के विचार से गुरुओं को तलाश करता हुआ, वह दूर-दूर मारा फिरने लगा। एक दिन एक सुयोग्य गुरु का उसे पता चला और वह उनके पास जा पहुँचा। वह महानुभाव दीक्षा देने के लिये तैयार न होते थे। पर जब उस मनुष्य ने बहुत प्रार्थना की और चरणों पर गिरा तो उन महानुभाव ने उसे शिष्य बना लिया। कुछ दिन के उपरान्त उसे गुप्त मंत्र बताने की तिथि नियत की गई। उस दिन उसे गायत्री मंत्र की दीक्षा दे दी और आदेश कर दिया कि इस मंत्र को गुप्त रखना, यह अलभ्य मंत्र औरों को मालूम नहीं है, तू इसका निष्ठापूर्वक जप कर ले तो बहुत सी सिद्धियाँ प्राप्त हो जावेंगी। शिष्य उस मंत्र का जप करने लगा। एक दिन वह नदी किनारे गया तो देखा कि कुछ लोग गायत्री मंत्र को जोर-जोर से उच्चारण करके गा रहे थे। शिष्य को सन्देह हुआ कि इसे तो और लोग भी जानते हैं, इसमें गुप्त बात क्या है। इसी सोच विचार में वह आगे नगर में गया तो दिखा कि कितनी ही दीवारों पर गायत्री मंत्र लिखा हुआ है। वह और आगे चला तो एक पुस्तक विक्रेता की दुकान पर गायत्री सम्बन्धी कई पुस्तकें देखीं, जिनमें वह मंत्र छपा हुआ था। अब उसका सन्देह दृढ़ होने लगा। वह सोचने लगा यह तो मामूली मंत्र है और सब पर प्रकट है। गुरुजी ने मुझे योंही बहका दिया है। भला इससे क्या लाभ हो सकता है? इन सन्देहों के साथ वह गुरुजी के पास पहुँचा और क्रोध पूर्वक उनसे कहने लगा कि आप ने व्यर्थ ही मुझे उलझा रखा है और एक मामूली मंत्र को गुप्त एवं रहस्यपूर्ण बताया है। गुरु जी बड़े उदार और क्षमाशील थे। उतावले शिष्य को क्रोधपूर्वक वैसी ही उतावली का उत्तर देने की अपेक्षा उसे समझा कर सन्तोष करा देना ही उचित समझा। उन्होंने उस समय उससे कुछ न कहा और चुप हो गये। दूसरे दिन उन्होंने उस शिष्य को बुलाकर एक हीरा दिया और कहा इसे क्रमशः कुँजड़े, पंसारी, सुनार, महाजन और जौहरी के पास ले जाओ और वे जो इसका मूल्य बतावें उसे आकर मुझे बताओ। शिष्य गुरु जी की आज्ञानुसार चल दिया। पहले वह कुँजड़े के पास पहुँचा और उसे दिखाते हुए कहा इस वस्तु का क्या मूल्य दे सकते हो? कुँजड़े ने उसे देखा और कहा-काँच की गोली है, पड़ी रहेगी, बच्चे खेलते रहेंगे, इसके बदले में पाव भर साग ले जाओ। इसके बाद वह उसे पंसारी के यहाँ ले गया। पंसारी ने देखा काँच चमकदार है, तोलने के लिए बाँट अच्छा रहेगा। उसने कहा भाई, इसके बदले में एक सेर नमक ले सकते हो। शिष्य फिर आगे बढ़ा और एक सुनार के पास पहुँचा। सुनार ने देखा कोई अच्छा पत्थर है। जेवरों में नग लगाने के लिए अच्छा रहेगा। उसने कहा-इसकी कीमत 50 दे सकता हूँ। इसके बाद वह महाजन के पास पहुँचा। महाजन पहचान गया कि यह हीरा है पर यह न समझ सका किस जाति का है, तब भी उसने अपनी बुद्धि के अनुसार उसका मूल्य एक हजार रुपया लगा दिया। अन्त में शिष्य जब जौहरी के पास पहुँचा तो उसने दस हजार रुपया दाम लगाया। इन सब के उत्तरों को लेकर वह गुरु जी के पास पहुँचा और जिसने जो कीमत लगाई थी वह उन्हें कह सुनाई। गुरु ने कहा-यही तुम्हारी संदेहों का उत्तर है। एक वस्तु को देखा तो सब ने, पर मूल्य अपनी बुद्धि के अनुसार आँका। मंत्र साधारण मालूम पड़ता है और उसे सब कोई जानते हैं, पर उसका असली मूल्य जान लेना सब के लिए संभव नहीं है। जो उसके गुप्त तत्व को जान लेता है, वही अपनी श्रद्धा के अनुसार लाभ उठा लेता है। यथार्थ में मंत्रानुष्ठान और आध्यात्मिक क्रियाओं को स्थूल दृष्टि से देखा जाये, तो वे वैसी ही मामूली और तुच्छ प्रतीत होती हैं जैसी कि कुँजड़े को वह काँच की गोली प्रतीत हुई थी, किन्तु श्रद्धा और निष्ठा के द्वारा जिसने अपना मन जौहरी बना लिया है, उसके लिये वह साधनाएं बड़ा महत्व रखती हैं और इच्छानुसार फल भी देती है। सारा महत्व श्रद्धा और विश्वास में है। विश्वास के साथ की गई एक छोटी सी क्रिया भी विचित्र फल दिखाती है, किन्तु अविश्वास और अश्रद्धा के साथ किया हुआ अश्वमेध भी निष्फल है। यही गुप्त साधनाओं का रहस्य है। gurukulamFacebookTwitterGoogle+TelegramWhatsApp Months January February March April May June July August September October November December अखंड ज्योति कहानियाँ महर्षि चरक (kahani) महर्षि दयानन्द (kahani) अण्डे बहा ले गया (kahani) कर्त्तव्य की परिधि (kahani) See More भारतीय संस्कृति को जानने शांतिकुंज पहुँचा अमेरिकी दल आत्मिक विकास में साधना महत्त्वपूर्ण : डॉ. प्रणव पण्ड्याजीहरिद्वार, २८ अक्टूबर।अमेरिका के 'द सेंटर फार थॉट ट्रांसफार्मेशन' का सात सदस्यीय दल साधनात्मक मार्गदर्शन प्राप्त करने शांतिकुंज एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पहुँचा। इन्होंने शांतिकुंज में नियमित रूप से चलने वाले ध्यान, योग व हवन आदि में भागीदारी करते हुए विशेष साधना का प्रशिक्षण प्रारंभ किया।दल का मार्गदर्शन करते हु More About Gayatri Pariwar Gayatri Pariwar is a living model of a futuristic society, being guided by principles of human unity and equality. It's a modern adoption of the age old wisdom of Vedic Rishis, who practiced and propagated the philosophy of Vasudhaiva Kutumbakam. Founded by saint, reformer, writer, philosopher, spiritual guide and visionary Yug Rishi Pandit Shriram Sharma Acharya this mission has emerged as a mass movement for Transformation of Era. Contact Us Address: All World Gayatri Pariwar Shantikunj, Haridwar India Centres Contacts Abroad Contacts Phone: +91-1334-260602 Email:shantikunj@awgp.org Subscribe for Daily Messages

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